Jayesh Gujrati's Blog (in Marathi): Sher

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Friday, January 20, 2012

हर घडी बस तेरा चेहरा




हाल कुछ ऐसा है अपना,
लगता है जैसा कोई सपना,
था मैं तनहा इस सफ़र में,
अब कोई बन गया है अपना,

       साथ तेरा पाके ओ जाना,
       ख्वाब पूरे हो गए हैं,  
       हर घडी बस तेरा चेहरा,
       बस वही लागे है अपना…




Thursday, January 19, 2012

वफा





जाने क्या सोच के लहरें साहिल से टकराती हैं
और फिर से लौट जाती हैं..
 
    समज नहीं आता के वोह किनारों से बेवफाई करती हैं
    या फिर लौट के समंदर से वफ़ा निभाती हैं…


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