Jayesh Gujrati's Blog (in Marathi)

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Sunday, March 03, 2013

DEAR GOD


I want to thank you for what you have already done.
I am not going to wait until I see results or receive rewards,

I am thanking you right now.


I am not going to wait until I feel better or things look better,

I am thanking you right now.


I am not going to wait until people say they are sorry or

Until they stop talking about me,

I am thanking you right now.


I am not going to wait until the pain in my body disappears,

I am thanking you right now.


I am not going to wait until my financial situation improves,

I am going to thank you right now.


I am not going to wait until the children are asleep and

The house is quiet,

I am going to thank you right now.


I am not going to wait until I get promoted at work or

Until I get the job,

I am going to thank you right now.


I am not going to wait until I understand every

Experience in my life that has caused me pain or grief,

I am going thank you right now.


I am not going to wait until the journey gets easier or

The challenges are removed.

I am thanking you right now.


I am thanking you because I am alive,

So I may continue being your vessel

 

I am thanking you because I made it through the day's difficulties.

I am thanking you because I have walked around the obstacles.

I am thanking you because I have the ability
And the opportunity to do more and do better.

I am thanking you because you have not given up on me.

- by unknown

Friday, March 01, 2013

तू बरोबर असतोस तेव्हा...

तू बरोबर असतोस तेव्हा,
खूप खूप बोलावसं वाटत, नाहीतर फक्त गप्प रहावस वाटत…

तू बरोबर असतोस तेव्हा,
फक्त तुलाच पाहावस वाटत, नाहीतर डोळे मिटून शांत बसावस वाटत…
 

 

तू बरोबर असतोस तेव्हा,
खूप खूप हसावसं वाटत,  नाहीतर उदास रहावस वाटत…
 

तू बरोबर असतोस तेव्हा,
फक्त तुझ्याच समोर रडावस वाटत, नाहीतर मनात सगळं दुखं, दाबून ठेवावस वाटत…
 

तू बरोबर असतोस तेव्हा,
तुझ्याबरोबर पावसात भिजावस वाटत, नाहीतर खिडकीतूनच, पडता पाऊस पाहावस वाटत…
 


तू बरोबर असतोस तेव्हा,
जगावसं वाटत, नाहीतर जग सोडून जावस वाटत…
 

तू बरोबर असतोस तेव्हा,
फक्त तुझ्या बरोबरच रहावस वाटत, नाहीतर फक्त तुलाच आठवावस  वाटत…
 

नाहीतर फक्त तुलाच......
                                            आठवावस वाटत…


by unknown

(Note: Video added to this blog, expecting your comments on this, so I'll continue adding Videos to my next blogs)
 

Tuesday, February 26, 2013

माँ...


एक माँ थी जिसका एक लड़का था, बाप मर चुका था। माँ घरो में बर्तन मांजती थी बेटे को अपना पेट काटकर एक अच्छे अंग्रेजी स्कूल में पढ़ाती थी। एक दिन स्कूल में किसी बच्चे ने उसके लड़के के आँख में पेंसिल मार दी, लड़के की आँख चली गई। डाक्टर ने कहा ये आँख नहीं बचेगी दूसरी लगेगी। तो माँ ने अपने कलेजे के टुकड़े के लिए अपनी एक आँख दे दी। 


अब वो देखने में भी अच्छी नहीं थी। बेटा उसको स्कूल आने को मना करता था क्योंकि वो देखने में अच्छी और पढ़ी लिखी नहीं थी ऊपर से एक आँख भी नहीं रही, उसे अपनी माँ पर शर्म आती थी, कभी लंच बॉक्स देने आती भी थी तो मुह छुपा कर और अपने को नौकरानी बताती थी। अपने बच्चे की ख्वाइश पूरी करने को वो दिन रात काम करती लेकिन बेटे को कमी महसूस नहीं होने देती।

बेटा जवान हुआ, एक  सरकारी अधिकारी बना उसने लव मैरिज की। उसने अपनी माँ को भी नहीं बुलाया और अलग घर ले बीबी के साथ रहने लगा माँ बूढी हो रही थी बीमार भी रहने लगी। लेकिन लड़का अपनी पत्नी और हाई सोसाइटी में व्यस्त रहने लगा उसे माँ की याद भी नहीं आती थी।
 

माँ बीमार रहती लेकिन दिन रात अपने पुत्र की सम्रद्धि और उन्नति के लिए भगवान् से दुआ  मांगती रहती कुछ पडोसी माँ का ख्याल रखते। एक बार वो बहुत बीमार पड़ी तो उसने अपने बेटे को देखने की इच्छा जाहिर की लोग लड़के को बुलाने गए तो, वो अपनी बीबी के साथ कहीं टूर पे घुमने जा रहा था वो नहीं आया उसने कुछ पैसे इलाज़ के लिए भेज दिए, लेकिन माँ का इलाज़ तो उसका बेटा था जिसको मरने से पहले देखना चाहती थी उसे प्यार देना चाहती थी, वो फिर भी बेटे का इन्तेजार करती रही, उसके कलेजे का टुकड़ा उसके आशाओं के टुकड़े कर रहा था। 

वो आया लेकिन तब तक माँ मर चुकी थी उसके हाथ में एक फोटो था लड़के का वही बचपन की स्कूल ड्रेस बाला फोटो धुन्दला गन्दा सा जिसे हर वक्त सीने से लगाये रहती थी, आज भी सीने से लगाये थी, लेकिन मरते दम तक वो अपने कलेजे के टुकड़े को कलेजे से न लगा सकी।

दिन बीते वक्त बदला लड़के का कार से एक्सिडेंट हुआ इस एक्सिडेंट में उसकी दोनों आँख चली गई चेहरे पर चोट लगने से कुरूप लगने लगा दोनों पैर बेकार हो गए चलने में लचार हो गया। पत्नी अमीर घर की लड़की थी, वो दिनों दिन पति से दूर होने लगी क्योंकि पति अब भद्दा और विकलांग था, और एक दिन वो पति को छोड़ कर चली गई। 

तब बेटे को माँ की याद आयी ,की कैसे उसने अपने बेटे के लिए अपनी एक आँख दे दी जीवन के आखरी समय तक वो उसकी फोटो को सीने से लगाये रही, और वो उसको अपनी पत्नी और हाई सोसाइटी के लिए माँ को याद भी नहीं करता था आज ईश्वर ने उसे बता दिया की माँ का प्यार असीम होता है, निस्वार्थ होता है, दुनिया में उससे ज्यादा प्यार करने बाला कोई नहीं ,वो लेटे लेटे यही सोंच रहा था और रो रहा था की ईश्वर ने शायद माँ के प्यार की क़द्र न करने की सजा दी लेकिन शायद माँ स्वर्ग में भी उसकी इस हालत को देख तड़प उठी होगी 

"माँ" जीवन का अनमोल और निस्वार्थ प्यार है किसी और के प्यार के लिए उसे मत ठुकराना।

 

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